हडबूजी

हड़बूजी का मुख्य पूजा स्थल बेंगटी (फलौदी) में है। इनके मंदिर में ‘हड़बूजी की गाडी‘ की पूजा की जाती है। इस गाडी में हड़बूजी पंगु गायों के लिए घास भरकर दूर-दूर से लाते थे। हड़बूजी का जन्म भूंडेल (नागौर) में हुआ था। हड़बूजी महाराजा गोपालराज सांखला के पुत्र थे । लोक देवता रामदेवजी हड़बू जी के मौसेरे भाईं थे । हड़बूजी के गुरू का नाम बालीनाथ था। हड़बूजी का वाहन सियार होता है ।

 रामदेवजी 

जैसलमेर। Baba Ramdev Ji राजस्थान के प्रसिद्ध लोक देवता हैं। Runicha (जैसलमेर) में बाबा का विशाल मंदिर है जहां दूर-दूर से श्रद्धालु उन्हें नमन करने आते हैं। रामदेवजी सामुदायिक सद्भाव तथा अमन के प्रतीक हैं। बाबा का अवतरण वि.सं. 1409 को भाद्रपद शुक्ल दूज के दिन तोमर वंशीय राजपूत तथा रूणीचा के शासक अजमलजी के घर हुआ।

पाबूजी

पाबूजी राजस्थान के लोक देवताओं में से एक माने जाते हैं। राजस्थान की संस्कृति में इन्हें विशेष स्थान प्राप्त है। पाबूजी उन लोगों में से एक थे, जिन्होंने लोक कल्याण के लिए अपना सारा जीवन दाँव पर लगा दिया और देवता के रूप में हमेशा के लिए अमर हो गए। पाबूजी को लक्ष्मणजी का अवतार माना जाता है। राजस्थान में इनके यशगान स्वरूप 'पावड़े' (गीत) गाये जाते हैं व मनौती पूर्ण होने पर फड़ भी बाँची जाती है। 'पाबूजी की फड़' पूरे राजस्थान में विख्यात है।

मांगलिया मेहाजी

मांगलिया का जन्म तापू गांव जोधपुर में मांगलिया यानी गोहिल वंश परिवार में भाद्रपद कृष्ण जन्माष्टमी को हुआ था। मेंहा जी के पिता का नाम केलू जी था तथा वह तापू गांव के जमींदार थे। मेहाजी का मूल स्थान जोधपुर बापिणी में है उनके घोड़े का नाम किरण काबरा था। मेहाजी राव चूड़ा के समकालीन थे। मेंहा जी का मंदिर बापिणी जोधपुर में है। मेंहा जी का मेला कृष्ण जन्माष्टमी को लगता है। जसदान बिठु ने मेहाजी से संबंधित वीर मेहा प्रकाश नामक ग्रंथ की रचना की है। मेहा जी का विवाह महेचा नाथ की बेटी के साथ हुआ था मेहा जी ने एक अबला औरत को उसकी गायों की रक्षा का वचन दिया था जो कि उनकी धर्म बहन थी जिसका नाम पाना गुजरी था।

गोगाजी

गोगाजी का जन्म राजस्थान के ददरेवा (चुरू) चौहान वंश के शासक जैबर (जेवरसिंह) की पत्नी बाछल के गर्भ से गुरु गोरखनाथ के वरदान से भादो सुदी नवमी को हुआ था। चौहान वंश में राजा पृथ्वीराज चौहान के बाद गोगाजी वीर और ख्याति प्राप्त राजा थे। गोगाजी का राज्य सतलुज सें हांसी (हरियाणा) तक था। लोकमान्यता व लोककथाओं के अनुसार गोगाजी को साँपों के देवता के रूप में भी पूजा जाता है। लोग उन्हें गोगाजी चौहान, गुग्गा, जाहिर वीर व जाहर पीर के नामों से पुकारते हैं।