डूंगरपुर शहर में अनेक पर्यटक स्थलों में रमणिक गैप सागर झील का निर्माण स्थापत्य प्रेमी महाराज गोपीनाथ (गेपा रावल) ने 1428 ई. में कराया था।
नेक लोगो के चलते यह झील लोगों की आस्था का स्थल बना हुआ है। झील का सौन्दर्य निहारने के लिए गेपा रावल ने इसके पीछे ’भागा महल’ बनवाया एवं बाद में इसके मध्य ’बादल महल’ बनवाया।
वागड़ की मीरा के रूप में विख्यात गवरी बाई ने यहाँ अपने पदों में इसे ’गैप सागर गंग’ कहा है। गैप सागर के किनारे हरे-भरे बगीचे इसकी सुंदरता को बढ़ाते हैं।
गैप सागर के बीच बना विजय राजराजेश्वर शिवालय अपने सुन्दरता के लिए आकर्षण का केन्द्र है। शिवालय के गर्भगृह में शिव विग्रह के साथ देवी पार्वती की प्रतिमा स्थापित हैं।
इसका निर्माण महारावल विजय सिंह ने शुरू करवाया परन्तु प्राण प्रतिष्ठा महारावल लक्ष्मणसिंह ने 1923 ई. में करवाई थी। गैप सागर के किनारे बने बादल महल की कारीगरी एवं स्थापत्य दर्शनीय है।
महल के गोल गुम्बद पर अधखिले कमल, कलात्मक गोखड़े एवं स्थापत्म शिल्प देखते ही बनता है। महल में राजपूत एवं मुगल निर्माण शैली का मिश्रण देखने को मिलता है।
बादल महल निर्माण के प्रथम चरण में चबूतरा एवं पहली मंजिल का निर्माण गैप रावल ने करवाया था। दूसरे चरण में महारावल पुंजराज (1609-1657 ई) ने पहले बने निर्माण की मरम्मत के सामने पहली मंजिल पर बरामदा, दूसरी मंजिल और गुम्बद बनवाये थे।
गैप सागर की पाल पर 25 अप्रेल 1623 को महारावल पुंजराज द्वारा निर्मित श्रीनाथ जी का विशाल मंदिर श्रद्धा का केन्द्र है। इसके अंदर 36 छोटे-छोटे मंदिर बने हैं।
भगवान श्रीकृष्ण की आदमकद प्रतिमा स्थापित है। मंदिर का निर्माण पुष्टिमार्ग के प्रवर्तक श्री वल्लभाचार्य के पुत्र श्री विट्ठलनाथ के वशंज गोपेन्द्रलाल वि. सं 1732 तक डूंगरपुर में रहे थे।