पांडूपोल हनुमान मंदिर अलवर शहर के करीब 55 किलोमीटर दूर है। सरिस्का के बीचों-बीच स्थित इस हनुमान मंदिर का इतिहास महाभारत काल से है। किवदंती है कि महाभारत काल में अज्ञातवास के दौरान भीम ने अपनी गदा से पहाड़ में प्रहार किया था, गदा के एक वार से पहाड़ टूट गया और पांडवों के लिए रास्ता बन गया।
यूं तो दुनियाभर में इच्छापूर्ण बालाजी के नाम से कई मंदिर हैं, मगर सरदाशहर स्थित यह विश्व का ऐसा इकलौता मंदिर है, जिसमें बालाजी की प्रतिमा राजशाही दरबार के रूप में हों और बालाजी राजा की तरह आशीर्वाद की मुद्रा में विराजमान हों। मंदिर पौराणिक शैली पर बना है।
राजस्थान के सालासर में स्थित सिद्धपीठ सालासर बालाजी की महिमा न्यारी है, जहां विश्व के इकलौते हनुमान जी की ऐसी प्रतिमा विराजमान है, जिनके दाढ़ी-मूंछ हैं. राम भक्त हनुमान का ये स्वरूप शायद ही आपको दुनिया में कहीं और देखने को मिले.
मेहंदीपुर बालाजी मंदिर भगवान हनुमान; हिंदू देवता जिन्हें 'संकट मोचन' माना जाता है, यानी, संकट का नाश करने वाले, बल के देवता, के लिए समर्पित है। श्री हनुमान जी 'बाल' अवस्था मे यानी बाला जी, जो श्री हनुमान जी का दूसरा नाम है, के रूप में पूजे जाते थे, इसलिए मंदिर का नाम मेहंदीपुर बालाजी रखा गया है।
ये मंदिर छोटी काशी जयपुर से 42 किलोमीटर दूर चौमूं के ग्राम नांगल भरडा में सामोद पर्वत पर स्थित है. ये मंदिर राजस्थान के प्रमुख धार्मिक स्थलों में से एक है. इस मन्दिर में बजरंगबली की 6 फीट की प्रतिमा है. सामोद वीर हनुमान जी का मंदिर अपनी बसावट के लिए भी जाना जाता है
देश का अनूठा और एकमात्र मंदिर खेतड़ी में हैं. मंदिर का नाम भी मूंछों वाले श्रीराम-लक्ष्मण का बड़ा मंदिर है. खेतड़ी कस्बे के मुख्य बाजार में स्थित इस मंदिर का निर्माण 200 साल पहले तत्कालीन राजा बख्तावर सिंह ने पत्नी रानी चूड़ावत के कहने पर करवाया था.
पांचना नदी से चारों तरफ से घिरा और त्रिकूट पर्वत की पहाड़ी पर स्थित अंजनी माता का मंदिर धार्मिक आस्था के साथ पर्यटन का हब बनता जा रहा है। इस स्थानों पर लाखों की संख्या में श्रद्धालुओं के साथ पर्यटन पहुंचते हैं। पूर्वी राजस्थान के प्रमुख पांचना बांध की पहाड़ी पर अंजनी माता मंदिर होने से चार तरफ से हरियाली छाई हुई है।