यह मीठे पानी की सबसे बड़ी झील है। यह उदयपुर जिले में स्थित है यह झील लगभग १५ किलोमीटर लंबी और ८ किलोमीटर चौड़ी है। यह उदयपुर से ५१ किलोमीटर दूर दक्षिण-पूर्व में स्थित है। झील पहाड़ियों से घिरी है। शांत एंव मनोरम वातावरण में इस झील का प्राकृतिक सौंदर्य मनोहरी है जो पर्यटकों के आकर्षण का मुख्य केन्द्र है।
यह उदयपुर से ६४ किलोमीटर दूर कांकरौली स्टेशन के पास स्थित है। यह ६.५ किलोमीटर लंबी और ३ किलोमीटर चौड़ी है। इस झील का निर्माण १६६२ ई० में उदयपुर के महाराणा राजसिंह के द्वारा कराया गया। इसका पानी पीने एंव सिचाई के काम आता है। इस झील का उत्तरी भाग नौ चौकी के नाम से विख्यात है जहां संगमरमर की २५ शिला लेखों पर मेंवाड़ का इतिहास संस्कृत भाषा में अंकित है।
यह उदयपुर की सबसे प्रसिद्ध और सुन्दरतम् झील है। इसके बीच में स्थित दो टापूओं पर जगमंदिर और जगनिवास दो सुन्दर महल बने हैं। इन महलों का प्रतिबिंब झील में पड़ता है। इस झील का निर्माण राणा लाखा के शासन काल में एक बंजारे ने १४वीं शताब्दी के अंत में करवाया था। बाद में इसे उदय सिंह ने इसे ठीक करवाया। यहझील लगभग ७ किलोमीटर चौड़ी है।
1137 ई० में इस झील का निर्माण अजमेर के जमींदार आना जी के द्वारा कराया गया। यह अजमेर में स्थित है। यह दो पहाड़ियों के बीच में बनाई गई है तथा इसकी परिधि 12 किलोमीटर है। जहाँगीर ने यहाँ एक दौलत बाग बनवाया तथा शाहजहाँ के शासन काल में यहां एक बारादरी का निर्माण हुआ। पूर्णमासी की रात को चांदनी में यह झील एक सुंदर दृश्य उपस्थित करती है।
यह एक प्राकृतिक झील है तथा यह माउंट आबू में स्थित है। यह झील लगभग 35 मीटर गहरी है। इस झील का कुल क्षेत्रफल 9 वर्ग किलोमीटर है। यह अपनी प्राकृतिक सुंदरता के कारण पर्यटकों का मुख्य केन्द्र है।
यह अजमेर से 11 किलोमीटर दूर पुष्कर में स्थित हैं। इस झील के तीनों ओर पहाड़ियाँ है तथा इसमें सालों भर पानी भरा रहता है। वर्षा ॠतु में यहां का प्राकृतिक सौंदर्य अत्यंत मनोहारी एंव आकर्षक लगता है। झील के चारों ओर स्नान घाट बने है।
यह एक प्राकृतिक झील है तथा यह झील दिल्ली-जयपुर मार्ग पर अलवर से 12 किलोमीटर दूर पश्चिम में स्थित है। यह झील सुंदर है तथा पर्यटन का मुख्य स्थल है।