अक्षय तृतीया/आखा तीज

वैषाख शुक्ल तृतीया

इस दिन से सतयुग व त्रेता युग का आरम्भ माना जाता है। इसे आखा तीज भी कहते है। इस दिन राजस्थान में सर्वाधिक बाल-विवाह होते है।

                गणगौर

वैषाख कृष्ण तीज

धींगा गंवर बैंत मार मेला जोधपुर में आयोजित होता है।

      वट सावित्री पर्व व्रत

    ज्येष्ठ अमावस्या 

इस दिन बरगद की पूजा की जाती है। इस व्रत से स्त्री को अखंड सौभाग्य की प्राप्ति होती है।

                धुलण्डी

     चैत्र कृष्ण एकम्

होली के दूसरे दिन धुलण्डी मनायी जाती है। इस दिन होली की राख की वंदना की जाती है। व रंग, गुलाल आदि से होली खेलते है।

               शीतलाष्टमी

      चैत्र कृष्ण अष्टमी

इस दिन शीतलामाता की पूजा की जाती है। व ठंडा भोजन किया जाता है। चाकसू (जयपुर) में शीतला माता का मेला भरता है। मारवाड में घुड़ला पर्व इसी दिन मनाया जाता है।

            वर्ष प्रतिपदा

     चैत्र शुक्ल एकम्

विक्रमादित्य मेला इसी दिन मनाया जाता है। हिंदुओ का नववर्ष इसी दिन प्रारम्भ होता है। इस दिन गुड़ी पड़वा का त्यौहार भी मनाया जाता है।

              गणगौर

   चैत्र शुक्ल तृतीया

यह गणगौर, शिव व पार्वती के अखंड प्रेम का प्रतीक पर्व है। इस दिन कुँवारी कन्याएं मनपसंद वर प्राप्ति का तथा विवाहित स्त्रियां अपने अखंड सौभाग्य की कामना करती है। जयपुर की गणगौर प्रसिद्ध है। बिना ईसर की गणगौर जैसलमेर की प्रसिद्ध है।

             रामनवमी

चैत्र शुक्ल नवमी

मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम के जन्मदिवस के रूप में यह त्यौहार मनाया जाता है। इस दिन रामायण का पाठ किया जाता है।