रणथंभौर किला राजस्थान का एक बहुत ही शानदार किला है जो राज्य के रणथंभौर में स्थित चौहान शाही परिवार से संबध रखता है। बताया जाता है कि यह शाही किला 12 वीं शताब्दी से अस्तित्व में है और यह राजस्थान में उन लोगों के लिए एक परफेक्ट पर्यटन स्थल है जो रॉयल जीवन को देखने के इच्छुक हैं। यह आकर्षक किला रणथंभौर नेशनल पार्क के जंगलों के बीच स्थित है,
राजस्थान राज्य के सबसे अच्छे बाघ अभ्यारण्यों में से एक है जिसे “फ्रेंडली” बाघों के लिए जाना जाता है। रणथंभौर की समृद्ध वनस्पतियां और जीव इस स्थान का प्रमुख आकर्षण हैं। विंध्य और अरावली पहाड़ियों की तलहटी में बसे रणथंभौर को अपने बाघों, वनस्पतियों और जीवों के लिए जाना जाता है। रणथंभौर राष्ट्रीय उद्यान यहां स्थित रणथंभौर किले और आसपास की पहाड़ियों और घाटियों के साथ मिलकर इस जगह को एक अद्भुद पर्यटन स्थल बनाता है।
घुश्मेश्वर मंदिर भगवान् शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में से अंतिम माना जाता है। सवाई माधोपुर में सिवार गाँव में स्थित है और ऐसी कई पौराणिक कथाएँ हैं, जो इसके इर्द-गिर्द बुनी गई हैं। इस मंदिर की सबसे लोकप्रिय कहानी भगवान शिव की महानता के बारे में बताती है, जिन्होंने अपने भक्त घुश्मा के पुत्र को फिर से जीवित कर दिया था
टोंक राजस्थान राज्य के जयपुर शहर से 96 किलोमीटर की दूरी पर स्थित एक शांत शहर है जो अपने कई पर्यटन स्थलों के लिए जाना जाता है। टोंक राजस्थान के एक ऐसा ऐतिहासिक स्थल है जहां पर पहले अफगानिस्तान के ‘पठानों’ का शासन था। टोंक का प्रमुख आकर्षण सुनहरी कोठी, गोल्डन बंगला है
सुनहरी कोठी (सोने की हवेली) राजस्थान में स्थित एक सुंदर महल है जो अपनी सुंदरता की वजह से जाना जाता है। इस महल की सबसे खास बात है कि इसके अंदर की दीवारों को सोने के पॉलिश से सजाया गया है इसके साथ ही दीवारों पर कांच की कलाकारी भी की गई है। महल का निर्माण टोंक के नवाब मोहम्मद इब्राहिम अली खान (1867-1930) नृत्य और संगीत के लिए के लिए बनाया था।
जामाजजिद, राजस्थान की सबसे बेहतरीन मस्जिद है। यह मस्जिद जटिल पैटर्न के साथ अंदर और बाहर से नाजुक रूप से सजी हुई है, जो अपनी वास्तुकला के लिए जानी जाती है। इस मस्जिद का निर्माण टोंक के पहले नवाब, नवाब अमीर खां द्वारा शुरू किया गया था और उनके बेटे द्वारा 1298 में पूरा किया गया। अगर आप एक वास्तुकला प्रेमी हैं तो आपको सवाई माधोपुर की जामा मस्जिद की यात्रा जरुर करना चाहिए।
कांधार खंडर किला सवाई माधोपुर से सिर्फ 45 किलोमीटर दूर स्थित है। जो सचमच देखने लायक जगह है। यहां पर शानदार किलेबंदी मेवाड़ के सिसोदिया राजाओं द्वारा लंबे समय तक शासन की गई थी जिसे बाद में मुगलों ने अपने कब्जे में ले लिया था। ऐसा कहा जाता है कि इस किले के राजा ने कभी युद्ध नहीं हारा।
टोंक से लगभग 20-30 किलोमीटर की दूरी पर स्थित- सवाई माधोपुर राजमार्ग हाथी भाटा है। एक ही पत्थर से निर्मित यह शानदार जीवन आकार का पत्थर का हाथी है। इस स्मारक में एक शिलालेख है जो राजा नल और दमयंती की कहानी को बताता है।
करौली से लगभग 23 किलोमीटर दूर स्थित कैला देवी मंदिर देवी को समर्पित है। यह मंदिर कैला देवी को समर्पित है जिन्हें महालक्ष्मी या धन की देवी के रूप में माना जाता है। कैला देवी साल में हर दिन भोग प्रसाद के साथ लाल झंडे चढ़ाने के लिए और मां के दर्शन करने के लिए जाते हैं।
श्री महावीर जी मंदिर राजस्थान में सवाई माधोपुर शहर से 110 किमी दूर है। पहले यह गांव चंदनपुर के नाम से जाना जाता था, लेकिन महावीर की एक प्राचीन मूर्ति की मिट्टी से खुदाई निकलने की वजह से यह स्थान जैन धार्मिक स्थल के रूप में प्रसिद्ध हो गया था और तब इसका नाम बदलकर श्री महावीर जी रख दिया गया था।