मारु पार्क सीकर जिले में सांवली मार्ग पर स्थित है। यह पार्क बहुत बड़ा और बहुत सुंदर है। पार्क में बहुत सारे आकर्षण है, पार्क में एक तालाब बना हुआ है। इस तालाब को माधव सागर बड़ा तालाब के नाम से जाना जाता है। यह तालाब देखने में बहुत सुंदर लगता है। यह तालाब अष्टकोणीय है।
यहां पर शेखावत लोगों की जीवन को दर्शाया गया है। यहां पर आपको मूर्तियों, हथियारों, पुराने सिक्के का अच्छा संग्रह देखने के लिए मिल जाता है। यहां पर पेंटिंग देखने के लिए मिलती है। इन सभी चीजों के बारे में जानकारी देखने के लिए मिलती है। यहां पर मिट्टी के बर्तन देखने के लिए मिलते हैं।
इस पार्क में आपको नेहरू जी की मूर्ति देखने के लिए मिलेगी, जो सफेद पत्थर की बनी हुई है और जिसमें नेहरू जी के महत्वपूर्ण घटनाओं के बारे में भी जानकारी दी हुई है। यहां पर छोटा सा फव्वारा देखने के लिए मिलता है। पार्क में, बीच-बीच में कहीं-कहीं बैठने के लिए स्थान भी बनाए गए हैं। पार्क में चारों तरफ हरियाली है।
देवगढ़ का किले में आपको प्राचीन दीवार, बुर्ज, किले का प्रवेश द्वार और महल देखने के लिए मिलते है। देवगढ़ किला एक ऊंची पहाड़ी पर बना हुआ है और इस किले में पानी के लिए जलाशय बनाया गया था, जिसमें वर्षा जल एकत्र किया जाता था और इसका उपयोग किया जाता था। देवगढ़ किले से सूर्यास्त का बहुत सुंदर दृश्य देखने के लिए मिलता है।
यह जगह फतेहपुर तहसील के बाहरी क्षेत्र में बनी हुई है। बुधगिरी एक सन्यासी थे। उन्होंने यहां पर तप किया था। यह उनके तपोस्थली के रूप में प्रसिद्ध है। यहां पर उनकी समाधि स्थित है। यह मंदिर या तपोस्थली एक पहाड़ी पर बनाई गई है। यहां पर आपको प्राचीन शिव मंदिर देखने के लिए मिलता है, जिसमें शिवलिंग विराजमान है। यहां पर हिंगलाज माता का मंदिर देखने के लिए मिलता है।
यह मंदिर फतेहपुर शहर के बीचो बीच बना हुआ है। इस मंदिर में माता का विग्रह बहुत सुंदर है। यह मंदिर सफेद मार्बल से बना हुआ है। मंदिर बहुत ही आकर्षक लगता है। मंदिर का गर्भ ग्रह चांदी का बना हुआ है।
यह किला ऊंची पहाड़ी पर बना हुआ है। यह किला प्राचीन है। यह किला बहुत सुंदर है। यह किला एक प्राइवेट प्रॉपर्टी है। इसलिए आप इस किले को बाहर से देख सकते हैं। इस किले के अंदर नहीं जा सकते हैं। इस किले में हनुमान जी का मंदिर बना हुआ है, जहां पर आप घूम सकते हैं। इस किले को सीकर के महाराजा राव राजा लक्ष्मण सिंह जी के द्वारा बनवाया गया था। यह किला 1805 में बनाया गया था।
यह जगह श्री श्रद्धा नाथ जी की तपोस्थली के रूप में जानी जाती है। लोगों का मानना है, कि यहां पर आकर मन की इच्छा पूरी होती है। इस आश्रम में आपको पॉजिटिव एनर्जी फील होगी। इस आश्रम में बहुत बड़ी लाइब्रेरी है, जहां पर किताबों का अच्छा संग्रह है। आपको यहां पर बहुत सारी किताबें पढ़ने के लिए मिलेगी।
हर्षनाथ मंदिर का निर्माण चाहमान शासक विग्रहराज प्रथम के शासनकाल में किया गया था। वह एक शैव संत अल्लत द्वारा करवाया गया था। यह मंदिर विक्रम संवत 1030 में बना है। शिव भगवान जी चाहमान शासकों के कुलदेवता थे। यह मंदिर महामेरू शैली में बना हुआ है। मंदिर में आपको गर्भगृह, अंतराल, कक्षासन युक्त रंग मंडप एवं अर्थ मंडप के साथ एक अलग नंदी मंडप की योजना देखने मिलती है।
जीण माता को जयंती माता के नाम से जाना जाता है। यहां पर माता की बहुत ही सुंदर प्रतिमा देखने के लिए मिलती हैं। यहां पर मुख्य मंदिर का गर्भग्रह बहुत सुंदर है। पूरे गर्भग्रह को चांदी की प्लेटिंग सजाया गया है और इसमें सुंदर डिजाइन बनाया गया है। गर्भग्रह में माता की बहुत सुंदर प्रतिमा के दर्शन करने के लिए मिलते हैं।
यह किला एक ऊंची पहाड़ी पर बना हुआ है। किले तक जाने के लिए ट्रैकिंग करनी पड़ती है। किले में पहुंचकर एक खंडहर किला देखने के लिए मिलता है। किले का अधिकतर भाग टूटी हुई अवस्था में है। किले से आप दूर तक फैला हुआ सुंदर पहाड़ का दृश्य देख सकते हैं।
यह धार्मिक स्थल है। यह मंदिर पूरे भारत देश और पूरी दुनिया में प्रसिद्ध है। यह मंदिर सालासर धाम के नाम से भी जाना जाता है। यह मंदिर हनुमान जी को समर्पित है। यह मंदिर सफेद मार्बल से बना हुआ है। मंदिर का जो गर्भगृह बहुत ही अच्छी तरह से डिजाइन किया गया है और इसमें चांदी और सोने का काम किया गया है। मंदिर के गर्भगृह में बालाजी भगवान जी की बहुत सुंदर प्रतिमा देखने के लिए मिलती है।
खाटू श्याम जी को बाबा श्याम, हारे का सहारा, लखदातार, खाटू श्याम जी, खाटू का नरेश, शीश का दानी विभिन्न नामों से जाना जाता है। खाटू श्याम जी के मंदिर में, जो सिर की प्रतिमा विराजमान है। वह खाटू श्याम मंदिर से थोड़ी दूरी पर जमीन की खुदाई करके प्राप्त की गई थी। इसके लिए एक बहुत ही आश्चर्यजनक घटना घटी थी। जहां से यह प्रतिमा प्राप्त हुई, वहां पर अब श्याम कुंड बना हुआ है।
श्री श्याम कुंड सीकर जिले का दर्शनीय स्थल है। यह धार्मिक स्थल है। यह कुंड पवित्र है। इस कुंड में लोग स्नान करते हैं और अपने सभी कष्टों को भुला देते हैं। इस कुंड के बारे में कहा जाता है, कि यहां पर बाबा श्याम के सिर का अवतरण हुआ था। इसलिए इसे श्याम कुंड के नाम से जाना जाता है। कुंड में स्नान करके भगवान खाटू श्याम के दर्शन करने के लिए लोग जाते हैं। यहां पर 2 कुंड बने हुए हैं। 1 कुंड महिलाओं के लिए और एक पुरुष के लिए बना है।