बीकानेर के लूणकरणसर तहसील के सहजरासर गांव में 16 अप्रैल 2024 को एक अद्वितीय घटना घटित हुई, जिसमें करीब डेढ़ बीघा जमीन अचानक 70 फीट नीचे धंस गई। (sinkhole) इस घटना ने स्थानीय लोगों और वैज्ञानिकों को आश्चर्यचकित कर दिया। 24 अप्रैल को जियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया (GSI) की टीम ने स्थल का निरीक्षण शुरू किया और 30 अप्रैल को ऑब्जर्वेशन पूरा किया। वैज्ञानिकों का ये भी मानना है की ये किसी तरह का sinkhole है।
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स्थानीय लोग प्राकृतिक आपद / प्राकृतिक sinkhole मान रहे थे।
बीकानेर से आए भू-वैज्ञानिकों ने वॉटर लॉगिंग को जमीन के धँसने और sinkhole होने की वजह बताई थी, वहीं स्थानीय लोग इस बात को मानने को तैयार नहीं थे. उनका ये कहना था कि ये इलाका रेगिस्तान है और सदियों से ऐसा ही रहा है. ऐसे जमीन के नीचे पानी के जमा होने का सवाल ही पैदा नहीं होता. कुछ लोग इसे प्राकृतिक आपदा मान रहे थे, वहीं कई लोग इसे दैवीय प्रकोप भी कह रहे हैं. सबके अपने-अपने तर्क थे , कुछ लोगो का मानना ये भी है की ये sinkhole नर्ग का दरवाजा है , धरती पैर पाप बढ़ने की वजह से ये नर्ग का दरवाजा खुल गया है।
अचानक हुई भूगर्भीय घटना ने लोगों को हैरत में डाला
डेढ़ बीघा जमीन में अचानक 70 फुट नीचे धंसने की घटना लोगों के लिए आश्चर्य का विषय बन गई. आसपास के लोगों ने क्षेत्र में कई सालों पहले बिजली गिरी थी. ग्रामीणों का मानना है कि इस वजह से हर साल मिट्टी धंसती गई. इसके चलते लोगों ने इस स्थान को ‘बिजलगढ़’ का नाम दे दिया. लोगों ने बताया कि जमीन धंसने की घटना को लेकर उन्होंने कई बार प्रशासन को इस मामले की सूचना दी है।
बीकानेर में 16 अप्रैल को डेढ़ बीघा जमीन धंस गई थी
वैज्ञानिकों ने अपनी रिपोर्ट में बताया कि जमीन के नीचे बने वैक्यूम और पानी की अनुपस्थिति ने इसे कमजोर बना दिया था। हालांकि, जीएसआई के वैज्ञानिकों ने मीडिया से सीधे संपर्क नहीं किया और अपनी रिपोर्ट वरिष्ठ अधिकारियों को सौंप दीयह घटना न केवल बीकानेर बल्कि पूरे राजस्थान के लिए एक महत्वपूर्ण भूवैज्ञानिक घटना के रूप की घटनाएं हमें प्राकृतिक आपदाओं के प्रति सचेत करती हैं और इनके वैज्ञानिक विश्लेषण से हमें भविष्य में ऐसी समस्याओं से निपटने की तैयारी करने में मदद मिलती है।
इस sinkhole को देखने के लिए दूर दूर से लोग आना शुरू होगय थे , लकिन लोगो की और किसी वजह से यह sinkhole और बड़ा ना होजाए इसलिए पुलिस प्रशासन ने लोगो को वह जाना से रोका और उस पूरे sinkhole के आस पास नाकाबंदी करवा दी है।
बीकानेर जिले की भूजल स्थिति रिपोर्ट के अनुसार, इस क्षेत्र में मुख्य रूप से हल्की बनावट वाली, कमज़ोर संरचना वाली रेत और रेतीली दोमट मिट्टी है। प्रारंभिक जीएसआई रिपोर्ट में इस क्षेत्र में कम बारिश का भी उल्लेख है। हालांकि, राज्य सरकार के जल संसाधन विभाग की वार्षिक मानसून रिपोर्ट के आंकड़ों से पता चलता है कि पिछले 30 वर्षों में औसत वर्षा में वृद्धि हुई है।
पूर्व सरपंच नत्थीलाल सिंघोर ने भी प्रशासन और जीएसआई के अत्यधिक भूजल दोहन के दावों पर सवाल उठाए। sinkhole पर्यावरण कार्यकर्ता श्याम सुंदर ज्याणी ने बताया कि इलाके में बारिश के दौरान भी बहता पानी नहीं आता और पानी मुख्य रूप से रेत में समा जाता है।
औसत वर्षा में वृद्धि के बावजूद, क्षेत्र में पानी की कमी है, जो दर्शाता है कि वर्षा का पानी प्रभावी रूप से जमीन में प्रवेश नहीं कर रहा है। एसडीएम सिंह ने बताया कि क्षेत्र का भूजल उथला है, जिसमें 150 मीटर नीचे तक केवल रेत है। उन्होंने जीएसआई रिपोर्ट में उजागर किए गए भूजल के अत्यधिक दोहन का भी उल्लेख किया।
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