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    Badisadri Tehsil पैलेस, राज परिवार और सीतामाता वन्यजीव अभ्यारण सम्पूर्ण जानकारी

    राजस्थान के चित्तोड़ जिले की एक Tehsil हे Badisadri । Badisadri विधानसभा विधायक गौतम लाल दक जी भारतीय जनता पार्टी से विधायक हे। Badisadri Tehsil  पिनकोड के 312403 हे। क्षेत्र की सबसे बड़ी मंडी Badisadri Tehsil के बड़ीसादड़ी कस्बे में हे। Badisadri Tehsil में खेती बड़े पैमाने पर की जाती हे। यह किरानी फैसले ज्यादा लगाई जाती हे जैसे अजमा, लहसुन,जीरा के लिए जमींन अच्छी मानी जाती हे Badisadri Tehsil के पास जिला चित्तोड़ 65 किलोमीटर की दुरी पर स्थित हे। यहां से उदयपुर से रेल कनेक्टिविटी भी अच्छी हे। बड़ीसादड़ी की जनसंख्या सवा लाख के लगभग हे यहां की ज्यादा तर जनसंख्या ग्रामीण क्षेत्र में निवास करती हे और इनकी आय खेती पर नीर भर करती हे। 

    Table of Contents

    Badisadri Tehsil बड़ीसादड़ी पैलेस (झाला वंशज)

    झाला मन्ना जिन्होंने महाराणा प्रताप के साथ रहकर कई युद्ध लड़े तथा आपने प्राणो को मात्र भूमि के लिए समर्पित करने वाले झाला राज वंश का ठिकाना बड़ीसादड़ी में ही था महल में प्रवेश के लिए यह पर एक विशाल दरवाजा बनाया गया हे जो पेले किसी भी सेना द्वारा भेदना आसान नहीं था। इस दरवाजे को पर करने पर एक और विशाल दरवाजा पर करना पड़ता हे।

    इस दरवाजे को पर करने पर राज महल का चौक हे जहा पर सेना को एकत्र किया जाता मंत्रणा के लिए। पुराणी वास्तु कला से निर्मित ये महल अंदर से काफी दार्शनिक हे महल के पीछे एक विशाल मैदान बना हुआ हे जहा सेना को युद्ध के लिए तैयार किया जाता था तथा गोड़ो को ट्रेनिंग दी जाती थी।

    महल में जल आपूर्ति के लिए महल के ठीक पीछे एक तालाब हे जिसे सूर्य सागर के नाम से जाना जाता हे। यह का राज घराना वर्तमान में उदयपुर में निवास करते हे। राज महल का निर्माण एक ही शाशन द्वारा नहीं कराया अपितु अलग अलग राजाओ द्वारा समय समय पर आवश्यकता के अनुरूप करवाया गया।

    Badisadri Tehsil  राज परिवार

    Badisadari के राज घराने की  21वी पीढ़ी के राजा राज राणा धनश्याम सिह 2004 से हे। राज राणा ने उदयपुर के प्रथम रियासत की रानी प्रवीण कुंवर से शादी की तथा 24 अगस्त 1994 को बेगू के परिवार रावत सवाई हरी सिहजी की बेटी तथा उनकी पहली पत्नी रानी कंचन कुंवर ने दूसरी शादी बम्बोरा के कुंवर महिवर्द्धन सिह की बेटी रानी पद्मावती से की और इनके एक बेटा और तीन बेटियां हे।

    बैसा गीतांजलि (रानी प्रवीण कुंवर द्वारा)

    बैसा सुदर्शन (रानी प्रवीण कुंवर द्वारा)

    कुंवर त्रिभुवन सिंह (रानी पद्मावती द्वारा)

    बैसा देवासी कुमारी (रानी पद्मावती द्वारा।

    Badisadri Tehsil राज परिवार का इतिहास

    बड़ीसादड़ी के राज परिवास के वारिस राज राणा एक झाला राजपूत वंश के हे। इन का उपवंश मकना हे। मेवाड़ के 16 प्रमुख सरदारों में इनका प्रथम स्थान था बड़ीसादड़ी राज परिवार को राजकीय पताका का उपयोग करने की अनुमति थी। बड़ीसादड़ी के राज राणा के अधम साहस और वीरता पूर्ण दिए गए बलिदान की बतौलत पानी रेंक रखते हे। 1527 में महाराणा संग्राम सिह (राणा सांग )के साथ खानवा के युद्ध में जब राणा संग्राम सिह प्रथम घायल हो गए थे तब उनके प्रॉक्सी के रूप में काम किया और वीरता के लड़ते हुए वीर गति को प्राप्त हुए।

    बड़ी सदरी तथा देलवाड़ा के राज परिवार निकटवर्ती सम्बन्ध रखते हे।   

    Badisadri राज वंश के नाम

    राज राणा श्री अज्या सिह जी (अजोजी)

    अजोजी का शाशन कल 1499 से 1527 तक रहा। ये विवाहित थे। इनकी मृत्यु 17 मार्च 1527 में महाराणा संग्राम सिंह जी के साथ खानवा में मुगलो के साथ  युद्ध में हुई।

    राज राणा सिहा सिंह जी (सिहजी)

    अजोजी की मृत्यु के बाद रिहासत को संभाला इनका कार्य काल 1527 से 1534 तक रहा था। वे विवाहित थे। चित्तोड़ की पहली घेरा बंदी सन 1534 हे हुई जिसमे मुगलो के विरुद्ध महत्व पूर्ण भूमिका निभाई तथा वीरगति को प्राप्त हुए।

    राज राणा श्री आसाजी

    इनका कार्य काल 1534 से 1535 तक रहा था। एक साल का कार्य काल में जब चित्तोड़ की दूसरी घेरा बंदी सन 1535 के समय वीरगति को प्राप्त हुए।

    राज राणा श्री सुरतन सिंह प्रथम

    इन का शासन काल 1335 से 1568 तक रहा था। ये भी विवाहित थे। इन की मृत्यु चित्तोड़ की तीसरी घेरा बंदी के समय हुई।

    राज राणा श्री बिदा (मान सिंह) 

    इनका शाशन काल 1568 से 1576 तक रहा। विवाहित थे। 21 जून 1576 को महाराणा प्रताप के साथ हल्दी घाटी के युद्ध में सम्मिलित हुए तथा अदम्य सहस के साथ लड़ते हुहे वीरगति को प्राप्त हुए।

    राज राणा श्री देदा सिंह

    मानसिंह जी की मृत्यु के बाद बड़ीसादड़ी का शाशन इन्होने संभाला तथा 1609 में हुई रणकपुर के युद्ध में वीरता का परिचय देते हुए  वीरगति को प्राप्त हुहे।

    राज राणा श्री हरि दास

    इनका शासन काल 1609 से 1622 तक रहा था। 1622 में हूरदा में हुए मुगलो से भीषण युद्ध में वीरगति को प्राप्त हुए।

    राज राणा श्री चंद्रसेन

    कुंवर जसवंत सिंह (तीसरे बेटे), उन्हें भयाना का ठिकाना दिया गया; शादी की और मुद्दा था।

    राज राणा श्री चंद्रसेन

    – विवाहित और उनके चार बेटे थे

    राज राणा श्री कीर्ति सिंह

    राज राणा श्री दौलत सिंहजी, ताना के प्रथम जागीरदार, उन्हें 1717 में मेवाड़ के महाराणा संग्राम सिंह द्वितीय द्वारा ताना की जागीर प्रदान की गई थी।

    महाराज अमन सिंहजी, उन्हें तलवाड़ा का ठिकाना प्रदान किया गया था; शादी की और मुद्दा था।

    इनके बाद के शासन

    राज राणा श्री कीर्ति सिंह प्रथम

    राज राणा श्री राय सिंह द्वितीय

    राज राणा श्री सुरतन सिंह तृतीय

    राज राणा श्री चंदन सिंह

    राज राणा श्री कीर्ति सिंह द्वितीय

    राज राणा श्री शिव सिंह 1865/1883

    राज राणा श्री राय सिंह तृतीय 1883/1897

    राज राणा श्री 108 दुलेह सिंह

    राज राणा श्री कल्याण सिंह

    राज राणा श्री हिम्मत सिंहजी 

    1944/2004, 5 सितंबर 1942 को बनेरा में जन्म, 1953 में बसंत पंचमी, ठिकाना भद्रजुन, जिला जालौर में शादी की, रानी गोपाल कंवर, 5 जून 1995 को भद्रजून के राजा देवी सिंहजी की बेटी और उनके दो बेटे थे। 12 जनवरी 2005 को उनका निधन हो गया।

    कुंवर घनश्याम सिंह (राज राणा श्री घनश्याम सिंहजी के रूप में उत्तराधिकारी)

    कुंवर कर्ण सिंह

    Badisadri Tehsil Tourist Please

     1 सीतामाता वन्य जीव अभ्यारण 

    सीतामाता वाइल्ड लाइफ सेंचुरी राजस्थान के प्रतापगढ तथा चित्तोड़ जिले में सरकार द्वारा दिनांक 2/11/1979 द्वारा संरक्षित वन क्षेत्र के रूप में घोषित किया गया है। यह एक घना जंगल है, जिसका क्षेत्रफल 422.95 वर्ग किलोमीटर है, जो जिले के कुल भूमि क्षेत्र का लगभग 40% है। सीतामाता वन्य जीव अभ्यारण बड़ीसादड़ी से मात्र 15 किलोमीटर की दुरी पर स्थित हे |

    सीतामाता वन्य जीव अभ्यारण  में क्या देखे |

    लक्ष्मण कुंड

    पौराणिक कथा की माने तो ये कुण लक्ष्मण जी में बनवाया था। जब  श्री राम ने माता जानकी का पारी त्याग करने  पर जब लक्षमण जी द्वारा माता सीता जी को रास्ते में प्यास लगने पर दो कुंड बनाये गए जो आज भी लक्ष्मण जी के नाम से जाना जाता हे इन कुंड का पानी कभी ख़तम नहीं होता हे। इन दोनों कुंड में पानी की मात्रा समान रहती हे। इन कुंड के पानी को यहां आने वाले लोग प्रसाद के रूप में पीते हे। यहां पास में ही शिवलिंग भी हे और बालाजी महाराज का प्राचीन मंदिर भी हे।

    सीतामाता वन्य जीव अभ्यारण प्राकृतिक सोंद्रय

    सीतामाता अभ्यारण में भीड़ भाड़ से दूर शांति का अनुभव मिलता प्राकृतिक सुन्दरता कही प्रकार के पेड़ पौधे देखने को मिलते। अनेक प्रकार वन्यजीव जैसे जी वन उड़न गिलहरी के लिए विश्व प्रसिद्ध हे मांसाहारी जानवरो में प्रमुख तेंदुहे ,भालू , जंगली बिल्ली आदि तथा शाकाहारी जीवो में  हिरन , नीलगाय ,बबून बन्दर आदि काफी संख्या में आये जाते हे। यहां बने वाली नदी में साल भर पानी रेने के कारन जंगल हरा भरा रहता हे।

    वाल्मीकि आश्रम

    सीता माता अभ्यारण में आप को अपनी और आकर्षित करता ये प्राकर्तिक आश्रम हे। माता सीता ने आपने जीवन यही निकाला थ। आपने दोनों बचो लव और कुश को जन्म भी यही हुआ। लव कुश की शिक्षा वाल्मीकि जी द्वारा यही दी गई हे। यहां नदी का पानी दो रूप में देखने को मिल ता हे नदी का पानी पेले ठंडा और बाद में गरम हो जाता हे।

    सीतामाता मंदिर

    सीतामाता मदिर जाने के लिए एक किमी का कठिन रास्ता चल कर पर करना पड़ता हे। यहां आने पर आंतरिक सुकून की अनुभूति तथा शांति का एहसास होता हे मदिर छोटा सा हे तथा मंदिर तक पहुंचेने के लिए  आप को सिडिया पर करनी पड़ेगी। मदिर के पास बने कुंड से निरंतर पानी बहता रहता हे जिस से नदी में साल भर पानी बना रहता हे। 

    2 तलो बांध

    बड़ीसादड़ी की प्यास बूजाने के लिए बड़ी मात्रा में इसी पर पर निर्भर करती हे यहां की जनता। क्षेत्र का सबसे बड़ा जल स्रोत हे यहां साल भर पानी रहता हे। सर्दियों में तलो बंद के पानी का विदेशी पक्षी बहुत लुप्त उठाते हे जो की एक पर्यटन का मुख्य कारण भी हे।

    इनके अलावा ये भी देखे

    श्री भवरासिया  माता मंदिर

    नालेश्वर महादेव मंदिर

    गुप्तेश्वर महादेव मंदिर

    बुलबुला महादेव मंदिर

    Dungla Tehsil के बारे में सम्पूर्ण जानकारी

    Badisadri Tehsil  कनेक्टिवटी

    प्रतापगढ़ सड़क मार्ग द्वारा राजस्थान, गुजरात और मध्य प्रदेश के प्रमुख शहरों से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है। दैनिक बस सेवाएं प्रतापगढ़ को चित्तौड़गढ़ (110 किमी), बांसवाड़ा (80 किमी), उदयपुर (165 किमी), डूंगरपुर (95 किमी), राजसमंद (200 किमी), जोधपुर (435 किमी), जयपुर (421 किमी), नीमच (62 किमी), रतलाम (85 किमी), मंदसौर (32 किमी) और दिल्ली (705 किमी) और राजस्थान के कई अन्य शहरों से जोड़ती हैं। निजी बस ऑपरेटर भी आस-पास के स्थानों से प्रतापगढ़ के लिए नियमित संपर्क उपलब्ध करा रहे हैं।

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