जयपुर जिसे गुलाबी नगर के नाम से भी जाना जाता है, भारत में राजस्थान राज्य की राजधानी है। आमेर के तौर पर यह जयपुर नाम से प्रसिद्ध प्राचीन रजवाड़े की भी राजधानी रहा है।
पुष्कर में पैदा होने वाला अधिकांश गुलाब अजमेर स्थित ख्वाजा मोईनुद्दीन चिश्ती की दरगाह में पहुंचता है। गुलाब के फूल और पंखुडियां ख्वाजा साहब के मजार पर चढ़ाई जाती है।
पासवान गुलाबराय इस उपन्यास का कथानक उस समय का है जब दिल्ली का लाल किला, मराठों और जाटों के पैरों तले कुचला जा रहा था और मुगल बादशाहत आखिरी सांसें ले रही थी। अफगान आक्रांता मुगल हरम की बेगमों को निर्वस्त्र करके लाल किले में दौड़ा रहे थे।
गुलाबी क्रांति नई प्रौद्योगिकियों को अपनाने और मांस उत्पादन की मौजूदा प्रक्रियाओं में सुधार से संबंधित है।पशुधन उत्पादन, खेती और मांस प्रसंस्करण में उच्च स्थान पर है।
राजस्थान में महिलाओं के घूंघट में तीन तरह की रंगाई होती है- पोम्चा, लहरिया और चुंदर। पोम्चा में पोम शब्द पद्म (कमल) का अपभ्रंश है। इस ओढ़नी में पीले रंग की पृष्ठभूमि पर गुलाबी या लाल रंग का कमल होता है। यह शिशु के जन्म के अवसर पर माता की ओर से बच्चे की माँ को दिया जाता है।
गुलाबी गणगौर नाथद्वारा में मनाया जाता है जहाँ लड़कियां एवं महिलाएँ ईसर-पार्वती की पूजा करती हैं और गुलाबी कपड़े पहनती हैं। नाथद्वारा अपने 17वीं शताब्दी के मंदिर के लिए प्रसिद्ध है जो भगवान श्रीनाथजी (भगवान कृष्ण) को समर्पित है।
इस बावड़ी का निर्माण 1699 में बूंदी के शासक महाराव राजा अनिरुद्ध सिंह की छोटी रानी रानी नाथावती जी ने करवाया था। 46 मीटर गहरा, यह सीढ़ीदार कुआँ एक बहुमंजिला संरचना है जो शानदार नक्काशीदार खंभों और ऊंचे मेहराबदार द्वार से सुसज्जित है। प्रत्येक मंजिल पर लोगों को श्रद्धांजलि अर्पित करने के लिए समर्पित पूजा स्थल हैं।
जैसलमेर को हवेलियों का शहर, पीले पत्थरों का शहर, झरोखों की नगरी, रेगिस्तान का गुलाब भी कहा जाता है..