राजस्थान में निवास करने वाली अनेक जातियाँ राजस्थानी लोकगीत गा-बजाकर ही अपना गुजारा करती रही हैं। कुरजां, पीपली, रतन राणो, मूमल, घूघरी, केवड़ा आदि लोकगीत जैसलमेर, बाड़मेर, बीकानेर, जोधपुर आदि क्षेत्रों में आये जाते हैं। जयपुर, कोटा, अलवर, भरतपुर, करौली तथा धौलपुर आदि मैदानी भागों में स्वरों के उतार-चढ़ाव वाले गीत गाये जाते हैं।

केसरिया बालम

राजबाड़ी विरह गीत। राजस्थान का प्रसिद्ध राजस्थानी लोकगीत। प्रसिद्ध गायिका अल्लाह जिलाई बाई ने गाया।

घुड़ला गीत

मारवाड़ (जोधपुर, पाली, जालौर) क्षेत्र में घुड़ला उत्सव पर गाया जाने वाला गीत।

झोरावा गीत

जैसलमेर क्षेत्र का विरह गीत।

मूमल गीत

जैसलमेर क्षेत्र का श्रृंगार परक विरह गीत, जिसमें लोद्रवा की राजकुमारी मूमल की नख से शिखा तक की सुन्दरता का वर्णन किया गया है।

जीरा गीत

जालौर क्षेत्र का जन सामान्य गीत जिसमें पत्नी अपने पति को जीरा न बोने की सलाह देती है।

बिछुड़ा गीत

हाड़ौती क्षेत्र का जन सामान्य गीत जिसमें बिच्छु के काटे जाने पर पत्नी अपने पति को दूसरी शादी करने के लिए सलाह देती है।

पंछीड़ा गीत

मेवाड़ क्षेत्र का जन सामान्य गीत जिसे माणिक्य लाल वर्मा ने लिखा था।

हमसीठो गीत

मेवाड़ क्षेत्र के भील स्त्री-पुरुषों द्वारा गाया जाने वाला गीत।

 होलर गीत

जच्चा गीत। शुभ कार्य सम्पन्न होने पर गाया जाने वाल गीत।

 बधावा गीत

पुत्री विदाई पर गाया जाने वाला गीत।

ओल्यूं गीत

पुत्री विदाई पर गाया जाने वाला गीत।

 बिणजारा गीत

काखा गीत (समूह गीत)

हरजस गीत

सगुण भक्ति के गीत।

रसिया गीत

भरतपुर क्षेत्र में गाया जाने वाला गीत।

दारूड़ी गीत

कलाली गीत, मारूड़ी गीत, राणा जोगी- महफिल या गढ़ गीत

हिचकी गीत

विरह गीत

बारहमासा गीत

विरह गीत जिसमें बारह महीनों का वर्णन है

बारहमासा गीत

विरह गीत जिसमें बारह महीनों का वर्णन है

कुरजां गीत

विरह गीत

पीपली गीत

विरह गीत