राजस्थान की सबसे बड़ी जनजाति मीणा जनजाति है जो मुख्य रूप से उदयपुर, दौसा ,करौली, सवाई माधोपुर एवं उदयपुर जिले में निवास करती है यह नगरी क्षेत्रों में रहने वाली सबसे बड़ी जनजाति है
भील राजस्थान की सर्वाधिक प्राचीन जनजाति है जनजाति भीलवाड़ा ,उदयपुर, सिरोही डुंगरपुर, बांसवाड़ा, चित्तौड़गढ़ जिले में निवास कर रही है ब्रिटिश विद्वान दोनों ने अपने ग्रंथ वाइल्डट्रेल्स ऑफ इंडिया में मारवाड़ को भीलो का आदमी स्थान बताया है कर्नल टॉड भीलो को वनपुत्र कहां है
जनसंख्या के अनुसार यह जनजाति राज्य में तीसरे स्थान पर है यह जाति मुख्य रूप से सिरोही ,पाली ,उदयपुर ,डूंगरपुर, बांसवाड़ा जिले में पाई जाती है गरासिया जनजाति लोक कथाओं में स्वयं को अयोध्या निवासी बा भगवान रामचंद्र का वंशज मानती है
यह जनजाति सर्वाधिक 12 जिले के शाहबाद एवं किशनगंज पंचायत में पाई जाती है राज्य की सहरिया जनजाति का 99.47% भाग 12 जिले में निवास करता है सहरिया जनजाति की उत्पत्ति प्रेशियन शब्द सेहर से हुई है
यह जनजाति सर्वाधिक डूंगरपुर जिले की सीमलवाड़ा पंचायत समिति में निवास करती है राज्य में कुल डामोर ओं का 70.88% भाग डूंगरपुर जिले में निवास करता है डामोर जनजाति की जाति पंचायत का मुखिया मुखी कहलाता है इस जाति के पुरुष भी महिलाओं की तरह गहने पहनते हैं
राजकीय जनजाति घुमंतू जाति अपराध वृत्ति हेतु प्रसिद्ध है मोर का मांस इस जनजाति को सर्वाधिक लोकप्रिय है कंजरो की कुलदेवी रक्तदन टी माता का मंदिर बूंदी के संतूर में स्थित है इस जनजाति में सच्चाई उगलवाने हेतु हाकम राजा का प्याला पी कर कसम खाने की परंपरा है
यह जनजाति मुख्य रूप से उदयपुर जिले के झाडोल, कोटडा, सराणा पंचायत में निवास करती है इस जनजाति का मूल निवास स्थान महाराष्ट्र है इस जनजाति का मुख्य व्यवसाय खैर वृक्ष से कत्था तैयार करना है जनजाति को शराब अति प्रिय है इस जनजाति की महिलाएं भी पुरुषों के साथ शराब पीती हैं
यह जनजाति भरतपुर जिले में मुख्य रूप से पाई जाती है इस जनजाति की उत्पत्ति सांस मल नामक व्यक्ति से मानी गई है सांसी जनजाति के दो भाग वीजा एवं माला है इस जनजाति को सांड व लोमड़ी का मांस सर्वाधिक प्रिय है