जूनागढ़ किला बीकानेर शहर के बीचो-बीच बना हुआ है। इस किले को प्राचीन समय में चिंतामणि किला एवं बीकानेर किले के नाम से जाना जाता था। मगर बीसवीं शताब्दी के प्रारंभ में इस किले का नाम बदलकर जूनागढ़ रख दिया गया। बीसवीं शताब्दी में किले में रहने वाला राज परिवार लालगढ़ महल में स्थानांतरण हुआ था।
यह संग्रहालय दो मंजिला है। इस संग्रहालय में बहुत सारी वस्तुएं प्रदर्शित की गई है। यहां पर राजा महाराजा की जीवन शैली को दिखाया गया है। यहां पर पुरानी तलवार, बंदूक, तीर कमान, पुराने सिक्के दिखाए गए हैं। यह संग्रहालय बहुत ही सुव्यवस्थित तरीके से बना हुआ है। श्री गंगा स्वर्ण जयंती संग्रहालय, सार्वजनिक पुस्तकालय तथा टाउन हॉल स्थित है। इस भवन का उद्घाटन बीकानेर नरेश महाराजा श्री करणी सिंह जी बहादुर ने 4 सितंबर 1954 को किया।
मंदिर श्री सुमति नाथ जैन मंदिर के नाम से भी जाना जाता है। इस मंदिर के गर्भ गृह में सुमति नाथ जी की सुंदर प्रतिमा के दर्शन करने के लिए मिलते हैं। यह मंदिर बहुत आकर्षक है। मंदिर की दीवारों, स्तंभों, छतों, मंडप में सुंदर पेंटिंग देखने के लिए मिलती है। मंदिर की दीवारों में मूर्तियां बनी हुई है, जो बहुत आकर्षक लगती है। मंदिर की मंडप में मानव जीवन से संबंधित बहुत सारे चित्र बने हुए हैं और जैन तीर्थकारों के भी चित्र बने हुए हैं, जो बहुत आकर्षक लगते हैं। मंदिर के स्तंभों में भी फूलों की नक्काशी बनी हुई है। पूरा मंदिर रंग बिरंगा है।
मंदिर विष्णु भगवान जी और लक्ष्मी माता जी को समर्पित है। मंदिर में विष्णु भगवान जी और लक्ष्मी माता जी की बहुत सुंदर प्रतिमा के दर्शन करने के लिए मिलते हैं। मंदिर में सुंदर आर्टवर्क देखने के लिए मिलता है। यह आर्ट वर्क चांदी से किया गया है। मंदिर में जन्माष्टमी, रामनवमी दिवाली, गीता जयंती के समय बहुत बड़ा उत्सव मनाया जाता है।
गजनेर वन्यजीव अभ्यारण प्राचीन समय में बीकानेर के शासकों का आखेट स्थल हुआ करता था। यहां पर गजनेर झील में बहुत सारे जानवर गर्मी के समय अपनी प्यास बुझाने के लिए आते हैं। यह अब एक प्रोटेक्टेड एरिया है।
गजनेर महल के चारों तरफ का वातावरण बहुत सुंदर है। चारों तरफ हरे भरे पेड़ पौधे और झील का नजारा बहुत ही आकर्षक है। झील में बहुत सारी मछलियां और विदेशी पक्षी देखने के लिए मिल जाते हैं, जो ठंड के समय यहां पर आते हैं। इसके अलावा यहां पर स्थानीय प्रजातियों के पंछी भी देखने के लिए मिलते हैं।
इस महल का निर्माण बीकानेर के महाराजा श्री गंगा सिंह जी ने किया था। यहां महल 1902 से 1926 के बीच में बना है। यह महल बलुआ पत्थर से बना हुआ है। यह महल बहुत सुंदर लगता है। इस महल के एक हिस्से को होटल के रूप में परिवर्तित कर दिया गया है, इस महल की कारीगरी बहुत ही सुंदर है। यह महल इंडियन, यूरोपियन, मुगल वास्तुकला में बनाया गया है। यहां पर एक म्यूजियम भी है। यहां पर प्राइवेट लाइब्रेरी भी है। यहां की दीवारें और छत में बहुत ही सुंदर डिजाइन किया गया है।
इस मंदिर में हर जगह चूहे देखने के लिए मिलते हैं। इस मंदिर को चूहे वाली माता का मंदिर भी कहा जाता है। इस मंदिर में चारों तरफ चूहे ही चूहे रहते हैं और चूहे मजे से खाना पीना खाते हैं और स्वतंत्र होकर घूमते रहते हैं यहां पर। इस मंदिर के बारे में कहा जाता है, कि अगर काले चूहे के बीच में सफेद चूहा दिख जाता है, तो बहुत ही शुभ होता है
बिश्नोई कम्युनिटी का एक प्रमुख धार्मिक स्थल है। यहां पर जंभेश्वर गुरु की समाधि देखने के लिए मिलती है। जंभेश्वर गुरु बिश्नोई समाज के संस्थापक थे। यहां पर उनकी समाधि के ऊपर मंदिर बनाया गया है। यह मंदिर बहुत सुंदर है। पूरा मंदिर मार्बल से बना हुआ है। मंदिर के ऊपर एक बड़ा सा गुंबद देखने के लिए मिलता है, जो बहुत सुंदर है। मंदिर के अंदर समाधि स्थल मौजूद है। यह मंदिर बीकानेर में मुकीम गांव में स्थित है
बीकानेर में कोलायत में स्थित है। यह मंदिर बहुत सुंदर है। कपिल मुनि मंदिर में, कपिल मुनि जी की सफेद पत्थर की बनी हुई प्रतिमा विराजमान है, जो बहुत सुंदर लगती है। इसके अलावा यहां पर एक विशाल सरोवर भी है। इस सरोवर को कपिल सरोवर के नाम से जाना जाता है। यह सरोवर बहुत सुंदर है। सरोवर के किनारे बहुत सारे मंदिर बने हुए हैं, जहां पर घुमा जा सकता है। यहां पर पंच मंदिर बने हुए हैं, जहां पर शिव भगवान जी, राम भगवान जी और भी बहुत सारे देवी देवताओं की प्रतिमा विराजमान है।
मंदिर हनुमान जी को समर्पित है। यह मंदिर मुख्य बीकानेर शहर से करीब 7 किलोमीटर दूर है। यह मंदिर सैंड डून्स के बीच में स्थित है। यहां पर आकर हनुमान जी का सुंदर मंदिर देखने के लिए मिल जाता है। यहां पर सभी तरह की व्यवस्थाएं उपलब्ध है। यहां पर आकर हनुमान जी के दर्शन करने के लिए मिलते हैं और श्री राम जी, माता सीता जी और लक्ष्मण जी के दर्शन करने के लिए मिल जाते हैं।
हवेली देखने में बहुत ही आकर्षक है। इस हवेली को आपने बहुत सारी मूवी और नाटक में जरूर देखा होगा। इस हवेली की वास्तुकला बहुत शानदार है। इस हवेली का संरक्षण भारत सरकार के द्वारा किया जाता है। इस हवेली के दरवाजे और खिड़कियां बहुत ही आकर्षक है। रामपुरिया हवेली लाल बलुआ पत्थर से बनी हुई है